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Monday, August 2, 2021

इश्क़ की इंतेहा : करबला

 करबला में हुआ सानेहा किसी एक दिन या किसी एक मुद्दे पर नहीं हुआ था । ये सालों साल से चली आ रही पुश्त दर पुश्त वो खलिश थी जिसने करबला को अंजाम दिया । हमारे नबी और उनकी आल से चिढ़ने की कोई एक वजह नहीं थी । दरअसल सारा मामला उस एहतेराम(जो कि मदीने वाले अहलेबैत के लिए रखते थे ) का था जिससे यजीदियों और उनके हमदर्दों को जलन होती थी । अपने किरदार और अपने इकलाख को ना दुरुस्त कर उन्होंने उसकी आग में जलने का रास्ता चुना । करबला के होने की एक वजह हज़रत अली का नबी करीम का सबसे चहेता होना भी था । जैसे जैसे नबी करीम को हज़रत अली पर भरोसा और उनपर यक़ीन बढ़ता गया नबी ने हज़रत अली को अपने क़रीबी होने का ऐलान करना शुरू कर दिया । ये बात कुछ को नागवार गुज़री । हालांकि हज़रत अली जैसा बहादुर , दिलेर , होशियार , अक्लमंद और ताक़तवर कोई और न था । हज़रत अली उन चुनिंदा लोगों में थे जो साबसे पहले ईमान ले आए और दीन की सरफराज़ी और उसके दावत के काम में नबी करीम के हर कदम पर साथ रहे । अपनी कम उम्र होने पर भी दीन के लिए उन्होंने नबी करीम का साथ दिया और उसी उम्र में उनके बताए दीन पर ईमान ले आए । लेकिन हसद की आग में जल रहे बेवकूफों को तो गर्त में जाना था तो उन्हें ये बात कहाँ समझ आती की हज़रत अली को चाहने की वजह नबी से उनका रिश्ता भर नहीं है । हज़रत अली उस वक़्त अरब दुनिया के सबसे दानिशमंद शख्सियत के मालिक थे । आज तक उनकी मिसालें दी जाती हैं । आज भी उनके मुक़ाबले में कोई नहीं है ।

वो जाँनिसारी , वो मुहब्बत , वो यक़ीन , वो जज़्बा , वो शौक़-ए- शहादत , वो अल्लाह पर ईमान , वो दीन की फरमाबरदारी , वो ख़ुलूस , इकलाख , मयार , खाक़सारी , हकपसन्दी , सलाहियत , शुक्र और सब्र , अहलेबैत के सिवा कहाँ नज़र आया ?? अल्लाह और उसके रसूल के दीन के लिए शहादत का जाम पीने वाले उन तमाम जाँनिसारों को सलाम जिन्होंने अपना सब कुछ लुटा कर भी उस दीन की हिफाज़त की ।


©मोनिश फ़रीद


14 comments:

  1. Beshaq haq hai...
    Allah Tala Jiss tarah bani israil ko hasad ki buniyad pe unko tabaah aur barbaad kiya usi tarah ahle bait athaar se jalan bugz hasad krne walo pe lanat barsaye

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  2. Hasad buniyaad hai tabab o barbaad hone ki

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  3. Replies
    1. शुक्रिया ।
      अपना नाम बताएं

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  4. हक़ हक़ हक़ !!
    लाखों करोड़ों सलाम 🙌🏽❤️🖤🥀

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    1. शुक्रिया । अपना नाम भी लिखा करें ।

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  5. Beshaq shubhanallah
    Rasool aur ale rasool se jalne wale aj bhi maujood hain yani yajeedi kheme k log

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